Add To collaction

लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 14 


एक जांच के सिलसिले में हीरेन दिल्ली आया हुआ था । हीरेन का दिल आजकल दिल्ली में ही रहता है । उसकी जिंदगी का मुकाम आजकल दिल्ली बन गई थी । अरे भाई, उसके दिल की मलिका दिल्ली में ही रहती है । इसलिए हीरेन दिल्ली आने के लिए हरदम बेकरार रहता है । जैसे ही उसे मौका मिलता वह दिल्ली भाग आया करता है । 

उसने अपना काम फटाफट समाप्त किया और क्नॉट प्लेस आ गया । यहीं पर वह अपनी जान "मीना" से मिलता था । हर बार की तरह आज भी वह पूरे दो मिनट लेट था और हर बार की तरह आज भी मीना ने मुस्कुराते हुए उसे देर से आने का उलाहना दिया । हीरेन की खासियत थी कि उसके पास हर अवसर के लिए स्यूटेबल गाना तैयार रहता है । तो इस अवसर पर भी उसने गाना शुरू कर दिया 
"मैं देर करता नहीं , देर हो जाती है " । 
मीना हीरेन की हर अदा की दीवानी थी । उसका बालों को झटक कर उंगलियों से ऊपर की ओर बनाना , होंठों को गोल गोल कर सीटी बजाना और हरदम पान मुंह में ठूंसे रहना यही उसकी पहचान थी 
मीना भी हीरेन की रग रग से वाकिफ थी । उसके सुर में सुर मिलाते हुए गाने लगी 
"आप यहां आये किसलिए" ? 
हीरेन कोई कम तो था नहीं इसलिए झट से गाने लगा 
"अजी, आपने बुलाया इसलिए" 
बात आगे बढ़ चली । पर दोनों में भारी कौन ? इसका फैसला बहुत मुश्किल से होता था । मीना ने कड़ी मिलाते हुए गाया 
"हम आपके हैं कौन" ? 
हीरेन ने नहले पर दहला जड़ते हुए कहा 
"पूछो अपने दिल से रहकर के मौन" । 
"दिल विल प्यार व्यार मैं क्या जानू रे " 
"मैं तो तुझको अपने दिल की दुनिया मानू रे" । 
हीरेन की इस तुकबंदी पर मीना खिलखिलाकर हंस पड़ी । वह हीरेन की बांहों में समा गई  । हीरेन के होंठ गोल हो गये और उसके होठों से सीटी बजने लगी 
"बांहों के दरमियां दो प्यार मिल रहे हैं" । वह सीटी इतनी अच्छी बजाता था कि मीना को ऐसा लगता था जैसे श्रीकृष्ण बांसुरी बजा रहे हैं और वह राधा की तरह अपने कान्हा की बांहों में सो रही है । हीरेन जब भी दिल्ली आता मीना अक्सर उसके साथ रहती थी । एक पल की भी जुदाई उसे बर्दाश्त नहीं थी । 

अचानक मोबाइल की घंटी बज गई । मीना का सपना जैसे टूट गया । इस करमजले फोन को भी अभी बजना था ? वह मन ही मन बड़बड़ाई । 
"हैलो" हीरेन ने कहा 
"अरे कहां है तू ? तेरा कुछ पता ही नहीं चलता है । एक पांव कोलकाता में तो दूसरा दिल्ली में रहता है । तीसरा बैंगलोर तो चौथा चेन्नई में । आज कहा है तू" ? सौरभ की खनखनाती आवाज आई 
"आज दिल्ली में हूं । और तू बता कैसा है अमेरिका में" ? हीरेन ने पूछा 
"आजकल मैं भी दिल्ली में ही हूं । बता कहां मुलाकात हो सकती है" ? 
"वहीं होटल चाणक्य में । मेरी फेवरिट है वो । उसकी "मॉकटेल मुझे बहुत पसंद है" । हीरेन अपनी ही धुन में बोल गया था । अचानक उसे ध्यान आया कि उसके सामने मीना खड़ी है जो उसे लगातार घूरे जा रही है । उसने बात को संभालते हुए झट से कहा 
"यार, उस होटल में लेमन और सोड़ा की मॉकटेल बहुत बढिया मिलती है । वहीं मिलते हैं" । 
"कितने बजे" ? 
"आठ बजे । क्यों ठीक है ना" ? 
"ठीक है" । 

जैसे ही हीरेन ने फोन बंद कर मीना की ओर देखा तो वह सन्न रह गया । वह उसे खा जाने वाली नजरों से घूर रही थी । हीरेन को अपनी गलती का अहसास हो गया और वह वहां से भाग छूटा । मीना उसके पीछे पीछे दौड़ लगाने लगी । आखिर में हीरेन को ही अपनी गति कम करनी पड़ी और मीना घूंसे मारने के लिए तैयार हो गई । हीरेन ने उसके सामने अपना सीना खोल दिया और इशारे से कहा "ले, मार ले" । 
मीना उसकी बांहों में सिमट गई । इस तरह से हीरेन की लव स्टोरी चल रही थी कि सौरभ दाल भात में मूसलचंद बन गया । हीरेन ने बड़ी मिन्नतों के बाद मीना से पीछा छुड़ाया और वह ठीक आठ बजे होटल चाणक्य में आ गया । सौरभ उसका पहले से ही इंतजार कर रहा था । दोनों दोस्त गले मिले तो उन्हें कॉलेज का जमाना याद आ गया । 

एक टेबल पर वे बैठ गए और बातें करने लगे । इतने में वेटर उनके लिए मॉकटेल ले आया और दोनों धीरे धीरे सिप करने लगे । 
"यहां क्या कर रहा है तू" ? हीरेन ने पूछ लिया 
"क्या बताऊं यार , बड़ी उलझन में हूं" सौरभ के मुंह से आह सी निकली 
"मेरे रहते उलझन कैसी ? मुझे बता , चुटकी में समाधान मिलेगा" । हीरेन के आत्मविश्वास पर सौरभ आश्चर्य चकित हो गया । 
"खुद पर इतना भरोसा" ? 
"अभी देखा ही क्या है तूने । कोई केस बता तब तू अपने यार के जलवे देखेगा" और हीरेन गोल गोल होठों से सीटी बजाने लगा 
"हमका ऐसा वैसा ना समझो हम बड़े काम की चीज" । 

"मान गये दादा , तभी तो हम यहां मिल रहे हैं । मेरा एक खास दोस्त है सक्षम और आजकल वह जेल में है । उस पर एक कत्ल का इल्जाम है । उसकी पत्नी पर इल्जाम है कि उसने अपने प्रेमी से मिलकर एक कत्ल किया है और जिसका कत्ल हुआ है वह एक अनजान व्यक्ति है । इस केस की छानबीन कर सही अपराधी को दंड दिलवाना और इन दोनों मासूमों को बचाना है । बस, इसीलिए यहां आया हूं तेरे पास । तेरे पास समय है क्या" ? सौरभ ने आशा भरी नजरों से हीरेन को देखा । हीरेन ने भी अपने बाल झटक कर उनमें उंगली फिराते हुए कहा 
"यारों के लिए तो सब कुछ कुर्बान है दोस्त । समझो काम हो गया । एक महीने का टाइम दे दे मुझे बस" । हीरेन ने प्रसन्न होते हुए कहा 

इस तरह सक्षम , अनुपमा और अक्षत का केस हीरेन ने ले लिया । 

श्री हरि 
14.6.23 

   16
10 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:15 AM

Nice one

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:43 AM

🙏🙏🙏

Reply

hema mohril

02-Jul-2023 09:03 AM

Nice

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:43 AM

🙏🙏🙏

Reply

वानी

15-Jun-2023 10:32 AM

Nice

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

16-Jun-2023 09:36 AM

🙏🙏

Reply